विगत पाँच सँ छह सौ वर्षकेँ बहुधा सबसँ पैघ प्रगतिक वर्ष मानल जाइत अछि। मुदा एहि शताब्दीमे क्रूरता, लूटपाट, अन्याय, नरसंहार आ नरसंहारक किछु सबसँ खराब रूप सेहो देखल गेल अछि। पिछला शताब्दीकेँ सबसँ पैघ प्रगतिक शताब्दी कहल गेल अछि मुदा वास्तवमे ई ओ शताब्दी अछि जाहिमे पृथ्वीक जीवन-पोषणक मूल स्थितिकेँ सबसँ बेसी नष्ट कयल गेल अछि।
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